Sunday, July 11, 2010
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। इस कहावत पर सौ फीसदी खरे उतरे हैं कनाडा के फिल्म मेकर रॉब स्पेंस। अपनी एक नकली आंख में कैमरा फिट करके वीडियो लिंक की मदद से वह खूबसूरत दुनिया को देख रहे हैं। खास बात यह है कि इस कैमरे का आविष्कार खुद रॉब ने किया है। रॉब ने किशोरावस्था में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान, दुर्घटना में दाईं आंख खो दी थी। उसके कुछ साल बाद उन्होंने एक ऐसा छोटा सा कैमरा बनाने की सोची, जिसे नकली आंख के अंदर फिट किया जा सके। उनकी यह हसरत पीछे साल पूरी हुई। उनके इस आविष्कार को प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका टाइम ने 2009 के श्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया था। इस नकली आंख में एक वायरलेस वीडियो कैमरा लगा है, जो तीन वोल्ट की छोटी सी बैटरी से संचालित होता है। यह कैमरा न तो रॉब के मस्तिष्क से जुड़ा है न ही उनकी आंख से। दरअसल, रॉब जिधर भी निगाह घुमाते हैं, कैमरा सामने की तमाम चीजों को रिकॉर्ड कर लेता है। इसमें एक वायरलेस ट्रांसमीटर भी लगा है। जिसकी मदद से रॉब कैमरे पर दिखने वाली चीजों को कम्प्यूटर पर देख सकते है। लेकिन यह ट्रांसमीटर बहुत सशक्त नहीं है। इस कारण रॉब को सिग्नल के लिए अपने गालों पर एंटिना को पकड़े रहना होता है। लेकिन उन्हें विश्वास है कि वह जल्द ही इसे मजबूत ट्रांसमीटर से बदल देंगे। इस पर वह काम कर रहे हैं। इस कैमरे को उन्होंने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक प्रोफेसर की मदद से बनाया है।
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