Monday, July 19, 2010

Sunday, July 11, 2010

चलते-फिरते अगर आपका मोबाइल भी चार्ज हो जाए

वे जूते पहनकर चलते-फिरते अगर आपका मोबाइल भी चार्ज हो जाए, तो क्या हर्ज है? वेलिंगटन की एक कंपनी ने ऐसे जूते बनाए हैं, जो पैरों का पसीना तो सोखेंगे, साथ ही पैरों की गर्मी से बिजली पैदा करेंगे। इस बिजली से आप कहीं भी कभी भी अपने मोबाइल को चार्ज कर सकते हैं।

इन जूतों को आरेंज पावर वैलीज नाम दिया गया है। इनमें बिजली का उत्पादन करने वाले सोल का इस्तेमाल किया गया है। यह सोल ही पैर की ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदल देंगे। जूतों को न्यूजीलैंड की कंपनी आरेंज ने ऊर्जा उत्पादन करने वाली कंपनी गोटविंड के साथ मिलकर लांच किया। इन जूतों को 12 घंटे पहनकर एक घंटे तक मोबाइल चार्ज करने भर की बिजली पैदा की जा सकती है। यानी आफिस में काम करते समय या फिर सैर सपाटे के दौरान भी इन जूतों से बिजली तैयार की जा सकती है।

दरअसल इन जूतों का सोल भौतिक विज्ञान के सीबैक प्रभाव के मुताबिक काम करता है। इस क्रिया में सोल पैरों की ऊष्मा और जमीन की ठंडक को मिलाकर बिजली उत्पन्न करता है।

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। इस कहावत पर सौ फीसदी खरे उतरे हैं कनाडा के फिल्म मेकर रॉब स्पेंस। अपनी एक नकली आंख में कैमरा फिट करके वीडियो लिंक की मदद से वह खूबसूरत दुनिया को देख रहे हैं। खास बात यह है कि इस कैमरे का आविष्कार खुद रॉब ने किया है। रॉब ने किशोरावस्था में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान, दुर्घटना में दाईं आंख खो दी थी। उसके कुछ साल बाद उन्होंने एक ऐसा छोटा सा कैमरा बनाने की सोची, जिसे नकली आंख के अंदर फिट किया जा सके। उनकी यह हसरत पीछे साल पूरी हुई। उनके इस आविष्कार को प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका टाइम ने 2009 के श्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया था। इस नकली आंख में एक वायरलेस वीडियो कैमरा लगा है, जो तीन वोल्ट की छोटी सी बैटरी से संचालित होता है। यह कैमरा न तो रॉब के मस्तिष्क से जुड़ा है न ही उनकी आंख से। दरअसल, रॉब जिधर भी निगाह घुमाते हैं, कैमरा सामने की तमाम चीजों को रिकॉर्ड कर लेता है। इसमें एक वायरलेस ट्रांसमीटर भी लगा है। जिसकी मदद से रॉब कैमरे पर दिखने वाली चीजों को कम्प्यूटर पर देख सकते है। लेकिन यह ट्रांसमीटर बहुत सशक्त नहीं है। इस कारण रॉब को सिग्नल के लिए अपने गालों पर एंटिना को पकड़े रहना होता है। लेकिन उन्हें विश्वास है कि वह जल्द ही इसे मजबूत ट्रांसमीटर से बदल देंगे। इस पर वह काम कर रहे हैं। इस कैमरे को उन्होंने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक प्रोफेसर की मदद से बनाया है।

करियर में तरक्की का मूल मंत्र

करियर में तरक्की का मूल मंत्र क्या है? जब यह सवाल एक वैश्विक सर्वेक्षण में भारत के नौकरीपेशा युवाओं से पूछा गया, तो अधिकांश ने कहा कि जल्दी-जल्दी कंपनी बदलते रहना ही तरक्की का सटीक फाम‌रू्रला है।

दुनिया में सर्वाधिक 56 फीसदी भारतीय नौकरीपेशा युवाओं ने कहा कि करियर में तरक्की के लिए अच्छा तरीका, मौका देखकर 'स्विच' करना [कंपनी बदल देना] है। सर्वे में दुनिया के चुनिंदा देशों के 25 से 35 साल के आयुवर्ग के नौकरीपेशा युवाओं से राय जानी गई। नौकरी बदल कर तरक्की पाने की सोचने वाले युवाओं का आंकड़ा अमेरिका में 43 फीसदी, ब्रिटेन में 41 फीसदी, ब्राजील में 39, चीन में 38 और जर्मनी में 37 फीसदी रहा।

सर्वे में, एक ही संस्थान में नौकरी करते रहने और इसी से संतुष्ट रहने वाले युवाओं का प्रतिशत भारत में सबसे कम निकलकर आया। यही हालात चीन में भी हैं।

नवंबर 2009 से जनवरी 2010 के बीच कराए गए इस अध्ययन में यह तथ्य सामने आया कि करियर में तरक्की और बेहतर बदलाव के लिए युवाओं में मुख्य रूप से सात कारक प्रेरक का काम करते हैं। इनमें पहला, ज्यादा से ज्यादा कमाने की चाहत। दूसरा, बेहतर प्रदर्शन के लिए अपनी कार्यकुशलता और योग्यता में वृद्धि करना। तीसरा, ऊंचा ओहदा और रुतबा हासिल करना। चौथा, वरिष्ठता और नेतृत्व की भूमिका में आना। पांचवां, अन्य क्षेत्र की नौकरी पाने के लिए भी योग्यता हासिल करना। छंठा, एक बेहतर भविष्य के लिए पुख्ता रास्ता तैयार करना और सातवां, बेहतर करियर के लिए एक विकल्प हमेशा तैयार रखना।

अध्ययन में पाया गया कि इन कारकों में से पहला कारक यानी अधिक से अधिक कमाई करने की चाहत, दुनियाभर के युवाओं को जल्द से जल्द नौकरी बदलने और सदैव अवसर की तलाश में रहने के लिए प्रेरित करता है। इस मामले में ब्रिटेन के युवाओं का सोचना हालांकि कुछ अलग है। ब्रिटिश युवा बेहतर प्रदर्शन के लिए अपनी कार्यकुशलता और योग्यता में वृद्धि करने पर जोर देते हैं।